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सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 का कार्यान्वयन

सार्वजनिक प्राधिकरणों के काम में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने के लिए, सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 (आरटीआई अधिनियम 2005) नागरिकों को सार्वजनिक प्राधिकरणों के पास जो सूचना उपलब्ध है उस तक पहुंचने का अधिकार देता है।

इस वेबसाइट का उद्देश्य वह सभी जानकारी उपलब्ध कराना है जो आयकर विभाग द्वारा आरटीआई अधिनियम 2005 की धारा 4 के संदर्भ में प्रकाशित करने के लिए आवश्यक है।

आयकर विभाग केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) की देखरेख और नियंत्रण में काम करता है। इसके देश भर में 500 से अधिक शहरों और कस्बों में लगभग 60,000 कार्मिक हैं। फील्ड कार्यालयों को क्षेत्रों में विभाजित किया गया है और प्रत्येक क्षेत्र का प्रमुख मुख्य आयकर आयुक्त होता हैं। प्रत्येक क्षेत्र को वार्षिक कार्य निष्पादन के लक्ष्य दिए जाते हैं, जैसे कि राजस्व संग्रहण, और इसके परिचालन खर्चों को पूरा करने के लिए आवश्यक व्यय बजट प्रदान किया जाता है। आयकर अधिनियम 1961 में प्रभार की रूपरेखा व आधार तथा किसी व्यक्ति की कुल आय की गणना का उल्लेख है। यह उस तरीके को भी निर्धारित करता है जिसमें इसे कर के अधीन लाया जा सकता है एवं छूट, कटौती, घटौती और राहत को विस्तार से परिभाषित करता है। यह अधिनियम आयकर प्राधिकारियों, उनके अधिकार क्षेत्र और शक्तियों को परिभाषित करता है। यह अधिनियम ऐसे प्राधिकारियों द्वारा निर्धारण, संग्रहण तथा वसूली, अपील और पुनरीक्षण, शास्ति और अभियोजन की एकीकृत प्रक्रिया के माध्यम से इस अधिनियम को लागू करने के तरीके का उल्लेख करता है। यह अधिनियम तेजी से बदल रहा है एवं गतिशील है और वित्त अधिनियम के माध्यम से प्रतिवर्ष संशोधित किया जाता है। आयकर अधिनियम 1961 की धारा 295 और अधिनियम की चौथी अनुसूची के भाग ए के नियम 15, भाग बी के नियम 11 और अधिनियम की चौथी अनुसूची के भाग सी के नियम 9 द्वारा प्रदत्त शक्तियों के प्रयोग में, केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने आयकर नियम 1962 को अधिसूचित किया है। ये नियम आयकर अधिनियम के एकसमान प्रयोग के लिए सीमा, शर्तों, परिभाषाओं, स्पष्टीकरणों एवं अनुप्रयोगों और प्रक्रियाओं के प्रकार निर्धारित करते हैं।

अन्य प्रत्यक्ष करों को भी इसी तरह की व्यवस्थाओं के माध्यम से नियंत्रित किया जाता है। आयकर विभाग के विभिन्न कार्यालय केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड द्वारा समय-समय पर निर्दिष्ट तकनीकी और प्रशासनिक रिकॉर्ड का अनुरक्षण करते हैं। प्रत्यक्ष करों के निर्धारण और संग्रहण के प्रभावी प्रबंधन के लिए केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड द्वारा समय-समय पर परिपत्र जारी किए जाते हैं।

ऑफिस प्रोसीजर मैनुअल, तीन खंडों में है जो कि आयकर विभाग के प्रशासनिक पहलुओं, संरचना और संगठन से संबंधित है। खंड I कार्य आवंटन और ऐसे कार्मिक मामलें जैसे विभागीय परीक्षाओं, गोपनीय रिपोर्टों, सतर्कता, प्रशिक्षण और शिकायत निवारण तंत्र से संबंधित है। खंड II तकनीकी पहलुओं, निर्धारण प्रक्रियाओं, कर आधार के विस्तार, केंद्रीय सूचना शाखाओं, रिफंडो, वसूली, राइट ऑफ, ब्याज, दंडो, अभियोजन, अपीलों और संशोधनों से संबंधित है। खंड III विविध विषयों जैसे अथॉरिटी फॉर एडवांस रूलिंग, सेटलमेंट कमीशन, तलाशी और जब्ती, आंतरिक लेखा परीक्षा, राजस्व लेखा परीक्षा, निरीक्षण और महत्वपूर्ण रिपोर्टों से संबंधित है।

इंटरनल ऑडिट मैनुअल में आंतरिक लेखापरीक्षा के संचालन से संबंधित दिशा-निर्देश हैं और इसमें प्रासंगिक है, कि यह राजस्व के रिसाव का पता लगाने के लिए चेक निर्धारित करता है। आंतरिक लेखा परीक्षा मैनुअल की योजना को परिभाषित करता है और इस संबंध में विभिन्न प्राधिकारियों की भूमिका और कार्यों को रेखांकित करता है। यह रिकॉर्ड / रजिस्टर के रख-रखाव के बारे में भी बताता है।

निरीक्षण दिशानिर्देश मैनुअल, अन्य बातों के साथ साथ एक अधिकारी के कार्य निष्पादन साथ साथ उसके स्टाफ के कार्य के गुणात्मक और मात्रात्मक विश्लेषण के लिए दिशानिर्देशों को निर्धारित करता है। इस तरह के निरीक्षण संगठन के विभिन्न पर्यवेक्षी अधिकारियों द्वारा किए जाते हैं। राइट ऑफ टैक्स एरियर मैनुअल बकाया कर मांगो को बट्टे खाते में डालने और कम करने के लिए प्राधिकारियों की शक्तियों के संबंध में प्रशासनिक नियम प्रदान करती है। इसमें आयकर, धन-कर और अन्य प्रत्यक्ष करों के बट्टे खाते डालने से संबंधित प्रक्रियाएं शामिल हैं।

दोहरे कराधान से बचाव के समझौते भारत सरकार द्वारा किसी अन्य देश से किए जाते हैं जिससे किसी एंटिटी की दोनों देशों में होने वाली आय के कारण कराधान संबंधी समस्याओं को कम किया जा सके। यह एक व्यक्ति को एक देश से दूसरे देश में कर योग्य आय के आंकलन में भुगतान किए गए करों के लिए क्रेडिट लेने में सक्षम बनाता हैI सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत कोई भी सूचना प्राप्त करने का इच्छुक नागरिक केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी (सीपीआईओ) या केंद्रीय सहायक लोक सूचना अधिकारी (सीएपीआईओ) से संपर्क करेगा, जैसा भी मामला हो, और उसके द्वारा मांगी गई सूचना के विवरण को निर्दिष्ट करेगा। ऐसा अनुरोध लिखित में या इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से अंग्रेजी या हिंदी में या उस क्षेत्र की आधिकारिक भाषा में करना होगा जिसमें आवेदन किया जा रहा है और निर्धारित शुल्क के साथ करना होगा। मौखिक अनुरोध को कम करके लिखित रूप के लिए केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी (सीपीआईओ) या केंद्रीय सहायक लोक सूचना अधिकारी (सीएपीआईओ) जैसा भी मामला हो में सभी उचित सहायता प्रदान करेगा। सूचना के लिए अनुरोध करने वाले आवेदक को सूचना या किसी अन्य व्यक्तिगत विवरण के अनुरोध के लिए कोई कारण बताने की आवश्यकता नहीं होगी, सिवाय उसके जो उनसे संपर्क करने के लिए आवश्यक हो।

सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत नागरिकों से प्राप्त सभी अनुरोधों के संबंध में, संबंधित केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी (सीपीआईओ) को यह अनुरोध प्राप्त होने के 30 दिनों के भीतर सूचना प्रदान करनी होती है अन्यथा संभावित अनुशासनात्मक कार्रवाई या अधिकतम 25,000/- रुपये तक के दंड के लिए उत्तरदायी है। आरटीआई अधिनियम के तहत अपीलीय तंत्र है जिसका उपयोग नागरिकों द्वारा किया जा सकता है यदि वे सीपीआईओ की जवाब से संतुष्ट नहीं हैं। आयकर विभाग द्वारा अपीलीय प्राधिकारियों को भी नियुक्त किया गया है।